Saturday, July 11, 2020

चलो इक बार फिर से

चलो इक बार फिर से
अजनबी बन जाएं हम दोनों

चलो इक बार फिर से
अजनबी बन जाएं हम दोनों

न मैं तुमसे कोई उम्मीद रखूँ
दिलनवाज़ी की
न तुम मेरी तरफ़ देखो
गलत अंदाज़ नज़रों से
न मेरे दिल की धड़कन लड़खड़ाये
मेरी बातों में
न ज़ाहिर हो तुम्हारी
कश्मकश का राज़ नज़रों से

चलो इक बार फिर से
अजनबी बन जाएं हम दोनों

तुम्हें भी कोई उलझन
रोकती है पेशकदमी से
मुझे भी लोग कहते हैं
कि ये जलवे पराए हैं
"मेरे हमराह भी रुसवाइयां हैं मेरे माझी की"
मेरे हमराह भी रुसवाइयां हैं
मेरे माझी की
तुम्हारे साथ भी गुज़री हुई
रातों के साये हैं

चलो इक बार फिर से
अजनबी बन जाएं हम दोनों

तार्रुफ़ रोग हो जाये तो
उसको भूलना बेहतर
ताल्लुक बोझ बन जाये तो
उसको तोड़ना अच्छा
"वो अफ़साना जिसे अंजाम तक लाना ना हो मुमकिन"
वो अफ़साना जिसे अंजाम तक
लाना ना हो मुमकिन
उसे इक खूबसूरत मोड़ देकर
छोड़ना अच्छा

चलो इक बार फिर से
अजनबी बन जाएं हम दोनों

Thursday, June 25, 2015

हाल चाल ठीक ठाक है

हाल चाल ठीक ठाक है,
सब कुछ ठीक ठाक है
B.A.किया है, M.A.किया,
लगता है वो भी ऐंवें किया
काम नहीं है वरना यहाँ
आप की दुआ इस सब ठीक ठाक है
हाल चाल ठीक ठाक है.....

आब-ओ-हवा वा वा वा वा
आब-ओ-हवा देश की बहुत साफ़ है
कायदा है, कानून है, इनसाफ़ है
अल्लाह मियाँ जाने कोई जिये या मरे
आदमी को खून वून सब माफ़ है
और क्या कहूँ,
छोटी मोटी चोरी
रिश्वत खोरी
देती है अपना गुज़ारा यहाँ
आप की दुआ से बाकी ठीक ठाक है
हाल चाल ठीक ठाक है.....

बाजारोंके भाव .... बाजारोंके भाव ?
बाजारोंके भाव मेरे ताउसे बड़े
मकानोंपे पगड़ीवाले ससुर खड़े
बूढी भूक मरती नहीं जिन्दा है अभी
कोई इन बुजुर्गोंसे कैसे लड़े
और क्या कहूँ,
रोज कोई मीटिंग
रोज कोई भाषण
भाषणपे राशन नहीं है यहाँ
आप की दुआ से बाकी ठीक ठाक है
हाल चाल ठीक ठाक है.....

गोल मोल रोटी का पहिया चला
गोल मोल रोटी का पहिया चला
पीछे पीछे चाँदी का रुपैया चला
रोटी को बेचारी को चील ले गयी (ओह तेरी)
चाँदी ले के मुँह काला कौवा चला
और क्या कहूँ,
मौत का तमाशा
चला है बेतहाशा,
जीने की फ़ुरसत नहीं है यहाँ
आप की दुआ से बाकी ठीक ठाक है (very good)
हाल चाल ठीक ठाक है.....

Monday, May 18, 2015

जेव्हा तिची नि माझी चोरुन भेट झाली

जेव्हा तिची नि माझी चोरुन भेट झाली
झाली फुले कळ्यांची, झाडे भरात आली

दूरातल्या दिव्यांचे मणिहार मांडलेले
पाण्यात चांदण्यांचे आभाळ सांडलेले
कैफात काजव्यांची अन पालखी निघाली

केसांतल्या जुईचा तिमिरास गंध होता
श्वासातल्या लयीचा आवेग अंध होता
वेड्या समर्पणाची वेडी मिठी मिळाली

नव्हतेच शब्द तेव्हा मौनात अर्थ सारे
स्पर्शात चंद्र होता, स्पर्शात लाख तारे
ओथंबला फुलांनी अवकाश भोवताली

पत्रास कारण की

पत्रास कारण की, बोलायची हिंम्मत नाही
पावसाची वाट बघण्या आता काही गंमत नाही

माफ कर पारो मला, नाही केल्या पाटल्या
मोत्यावानी पीकाला ग नाही कवड्या भेटल्या
"चार बुकं शिक" असं कसं सांगु पोरा
"गहाण ठेवत्यात बापाला का ?" विचार कोणा सावकारा
गुरांच्या बाजारी हिथं माणसा मोल नाही
मी नाही बोललो पण पोरा तु तरी बोल काही

ढवळ्या पवळ्या माफी द्यावी तुम्हा लय पिळून घेतलं
पण कोरड्या जमीनीनं सारं पिकं गिळून घेतलं
नाही लेकरा भाकर, नाही गुरा चारा
टिपूस नाही आभाळात, गावंच्या डोळा धारा
कर्जापायी भटकून शिरपा ग्येला लटकून
दारुपायी गेला असं लिवलं त्यांनी हटकून
गडी व्हता म्हराठी पन राजाला किंमत नाही

आई तुझ्या खोकल्याचा घुमतो आवाज कानी
नाही मला जमलं ग तुझं साधं औषध-पाणी
मैलोमैल हिथं कुठं दवाखाना न्हाई
रोगर मात्र सहजासहजी कुटं बी गावतंय्‌ आई
शेतात न्हाई कामंच ते, जीव द्याया आलं कामी
माजं अन्‌ सरकारचं ओजं आता व्हईल कमी
मरता मरता कळलं हिथं शेतकर्‍या किंमत न्हाई

हि वाट कुठे अन कशी मला नेईल

हि वाट कुठे अन कशी मला नेईल
मी आज कुठे अन कुठे उद्या जाईन 

मी पाठ फिरवुनी चालत गेलो दूर 
कधी मनास भिडला नाही व्याकुळ सूर 
का आज बंधने तोडून आला पूर 
जे कधीच नाही दिसले ते पाहीन 
मी आज कुठे अन कुठे उद्या जाईन 

तुटले पुरती मी तरी धावते आहे 
पापणीत ओल्या उगाच हसते आहे 
मन पुन्हा पुन्हा पण मला सांगते आहे 
एकटीच होते एकटीच राहीन 
मी आज कुठे अन कुठे उद्या जाईन

कुणी बुवा मांडतो खेळ इथे श्रद्धेचा 
देहाचा कुणी मायेचा कुणी सत्तेचा 
मज ठाऊक  एकच मालक या जगताचा 
त्या ईश्वरास मी रातंदिन शोधीन 
मी आज कुठे अन कुठे उद्या जाईन

धावतो कशाच्या मागे मी तोडून सारे धागे 
काळोख सरेना मज वाट दिसेना 
दिसले सुख जे दुरुनी फिरुनी लपले 
क्षण एक सुखाचा दैवाला मागेन 
मी आज कुठे अन कुठे उद्या जाईन
 
 
 

ऐल माझा गाव, पैल माझा देव गं

ऐल माझा गाव, पैल माझा देव गं 
जाऊ दे सोडून नीती ओढून नेतो भाव गं ...

मिटतात पापण्या आणि उसळतो आठवणींचा सागर
मी समिधा माझी वाहून जपला तुझ्या स्मृतींचा जागर 
कंठात दाटतो हुंदका अन काळजात घाव गं ...
 
वाळूत खुणा अजुनी का जसे व्रण ताजेच असावे
ओझे धरणीवरती जे माझे अस्तित्व मिटावे 
माझ्या पापी राखेला इथे नको ठाव गं ...
 
मी मोहाने थरथरले, मी वाऱ्यावर भिरभिरले 
या दिशा दहा हसतात, मी इथे फक्त फरफटले 
आता पुन्हा दे धीर, भोवती भूतांचा घेर 
हि आर्त ऐक रे हाळी, वासना सांडो आंधळी 
हा तुटता आतून पीळ, सावरे मला घननीळ 
ऐल माझा गाव पैल माझा देव गं ..

Thursday, May 14, 2015

मेरे महबूब तुझे मेरी मुहब्बत की क़सम

मेरे महबूब तुझे मेरी मुहब्बत की क़सम
फिर मुझे नरगिसी आँखों का सहारा दे दे
मेरा खोया हुआ रंगीन नज़ारा दे दे, मेरे महबूब तुझे ...
भूल सकती नहीं आँखें वो सुहाना मंज़र

जब तेरा हुस्न मेरे इश्क़ से टकराया था
और फिर राह में बिखरे थे हज़ारोँ नग़में
मैं वो नग़में तेरी आवाज़ को दे आया था
साज़-ए-दिल को उन्हीं गीतों का सहारा दे दे
मेरा खोया ...

याद है मुझको मेरी उम्र की पहली वो घड़ी
तेरी आँखों से कोई जाम पिया था मैने
मेरे रग रग में कोई बर्क़ सी लहराई थी
जब तेरे मरमरी हाथों को छुआ था मैने
आ मुझे फिर उन्हीं हाथों का सहारा दे दे
मेरा खोया ...

मैने इक बार तेरी एक झलक देखी है
मेरी हसरत है के मैं फिर तेरा दीदार करूँ
तेरे साए को समझ कर मैं हंसीं ताजमहल
चाँदनी रात में नज़रों से तुझे प्यार करूँ
अपनी महकी हुई ज़ुल्फ़ों का सहारा दे दे
मेरा खोया ...

ढूँढता हूँ तुझे हर राह में हर महफ़िल में
थक गये हैं मेरी मजबूर तमन्ना के कदम
आज का दिन मेरी उम्मीद का है आखिरी दिन
कल न जाने मैं कहाँ और कहाँ तू हो सनम
दो घड़ी अपनी निगाहों का सहारा दे दे
मेरा खोया ...

सामने आ के ज़रा पर्दा उठा दे रुख़ से
इक यही मेरा इलाज-ए-ग़म-ए-तन्हाई है
तेरी फ़ुरक़त ने परेशान किया है मुझको
अब मिल जा के मेरी जान भी बन आई है
दिल को भूली हुई यादों का सहारा दे दे
मेरा खोया ...

ऐ मेरे ख़्वाब की ताबीर मेरी जान-ए-जिगर
ज़िन्दगी मेरी तुझे याद किये जाती है
रात दिन मुझको सताता है तस्सव्वुर तेरा
दिल की धड़कन तुझे आवाज़ दिये जाती है
आ मुझे अपनी सदाओं का सहारा देदे
मेरा खोया ...

मेरे महबूब तुझे मेरी मुहब्बत की कसम
फिर मुझे नर्गिसी आँखों का सहारा देदे
मेरा खोया हुआ रंगीन नज़ारा देदे
मेरे महबूब तुझे ...